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UP: उपचुनाव में जाटों को कौन साध सकेगा अबकी बार? इस वजह से बढ़ी भाजपा की टेंशन; सपा इसलिए है उत्साहित

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अलीगढ़ जिले का जाटलैंड कही जाने वाली खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारी हो रही है। हर दल अपने-अपने स्तर से प्रयासरत हैं। सभी के सामने सवाल है कि अबकी बार इस सीट पर बहुसंख्यक जाटों को कौन साधेगा। भाजपा तीसरी बार फिर जीत के लिए प्रयासरत है। लोकसभा के परिणामों को देखकर सपा भी उत्साहित है। अब परिणाम क्या होगा? यह तो आने वाला समय बताएगा। मगर सभी दलों और टिकट के दावेदारों ने अपने-अपने प्रयास तेज कर दिए हैं।

खैर में लगातार 45 साल तक रहे जाट विधायक
आजादी के बाद 1957 में अस्तित्व में आई टप्पल और अब खैर विधानसभा सीट पर जाट बहुल होने के कारण चौधरियों का कब्जा रहा है। इसी वजह से इसे जिले का दूसरा जाटलैंड कहा जाता है। सबसे पहले बसपा के सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले ने चौधराहट पर ब्रेक लगाया और 2002 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े ब्राह्मण नेता प्रमोद गौड़ ने जीत दर्ज की।